Class 10th NCERT – Hindi

Class 10th NCERT - CBSE -Solutions -

Class 10 all subjects NCERT Books, Solutions, Question Papers, Exemplar, with answers in PDF format  are available to download free. NCERT Solutions in PDF format is available with complete description and explanation. These solutions are strictly confined with Latest CBSE Syllabus for current academic year.

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Subject : हिंदी

( स्पर्श  भाग २) ( पद्य )

पाठ 1: कबीरसाखी

साखी साखी का अर्थ है - आँखों देखी अथवा भली प्रकार समझी हुई बात। कबीर की साखियाँ दोहों में लिखी गई हैं जिनमें भक्ति व ज्ञान उपदेशों को संग्रहित किया गया है।


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पाठ 2: मीरा – पद

पद शब्द वाक्य का मुख्य स्रोत है। इनके बिना वाक्य की कल्पना नहीं की जा सकती है। जब इसका (शब्द) वाक्य में प्रयोग होता है, तब यह पद कहलाता है। वाक्य में पद कहलाने के पीछे भी एक कारण है। वह इस प्रकार है; एक शब्द का जब वाक्य में प्रयोग होता है, तो वह व्याकरण के नियमों से पूरी तरह बंध जाता है और यहाँ आकर उसका अस्तित्व बदल जाता है। नियमों में बंधा शब्द पद का रूप धारण कर लेता है।


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पाठ 3: बिहारी – दोहे

 बिहारी के दोहे भिन्न भिन्न विषय से सम्बंधित है. उनके छोटे दोहे हैं, परन्तु प्रत्येक दोहे में गहन विचार छिपा है. बिहारी मुख्य रूप से श्रृंगारपरक दोहों के लिए जाने जाते हैं, किन्तु उन्होंने लोकव्यवहार, निति ज्ञान आदि विषयों पर भी लिखा है.


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पाठ 4: मैथलीशरण गुप्त – मनुष्यता

 मनुष्यता कविता मैथलीशरण गुप्त दुआरा रचित है. इस कविता के माध्यम से उन्होंने मनुष्य को उसकी चेतना शक्ति का एहसास दिलाते हुए कहा है की इस धरातल पर वही उत्कृष्ट प्राणी है.


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पाठ 5: सुमित्रानंदन पन्त – पर्वत प्रदेश में पावस

 पर्वत प्रदेश में पावस.प्रसिद्ध छायावादी कवि सुमित्रानंदन पन्त की इस कविता में सौन्दर्य की झलक प्रस्तुत करती है. इस कविता में पर्वतीय शेत्र में वर्षा के दृश्य और उसके प्रभाव का मनोहारी चित्रण किया गया है.


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पाठ 6: महादेवी वर्मा – मधुर मधुर मेरे दिपक जल

मधुर-मधुर मेरे दीपक जल एक आध्यात्मिक कविता है. कवयित्री ने अपने आस्था रुपी दीपक को हर परिस्तिथि में जलाये रखने का संकल्प लिया है. वह अंधी-तूफानों में भी अपने हृदय रुपी मंदिर में आस्था के दीपक को जलाकर अपने अंत:करण के अँधेरे को दूर कर अपने प्रियतम का पथ आलोकित करना चाहती है.


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पाठ 7: वीरेन डंगवाल – तोप

तोप १८५७ के स्वतंत्र संग्राम में प्रयुक्त एक टॉप कंपनी बाग में राखी है. उसे विरासत की तरह संभालकर रखा गया है. यह तोप उस समय के वीरों के बलिदान और अंग्रेजी शासकों के अत्याचारों की गाथा कहती है.


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पाठ 8: कैफी आझमी – कर चले हम फिदा

कर चले हम फ़िदा. यह कविता युद्ध की पृष्ठभूमि पर आधारित फिल्म हकीकत के लिए लिखी गयी है, जिसमें कवि ने युद्ध में लड़ रहे सैनिकों की मनोदशा का चित्रण किया है.


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पाठ 9: रवींद्रनाथ ठाकुर – आत्मत्राण

आत्मत्राण रविंद्रनाथ ठाकुर रचित यह प्रार्थना गीत परम्परागत प्रार्थना गीतों से अलग है क्योंकि कवी इसमें इश्वर से जीवन के हर मार्ग को, विपत्ति को या कष्ट को सरल करने या हरण करने की प्रार्थना नहीं करता.


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( स्पर्श  भाग २) ( गद्य )

पाठ 1: प्रेमचंद – बड़े भाई साहब

बड़े भाई साहब प्रस्तुत पाठ में एक बड़े भाई साहब हैं जो हैं तो छोटे ही, लेकिन घर में उनसे छोटा एक भाई और है. उससे उम्र में केवल कुछ साल बड़ा होने के कारण उससे बड़ी बड़ी अपेक्षाएं की जाती हैं.


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पाठ 2: सीतारीम सेकसरिया – डायरी का एक पन्ना

डायरी का एक पन्ना पाठ के लेखक सीताराम सेकसरिया आजादी की कामना करनेवाले स्वतंत्रताप्रिय लोगों में से एक थे. वे गुलामी के दिनों में दिन-प्रतिदिन जो भी देखते, सुनते और महसूस करते थे, अपनी निजी डायरी में दर्ज कर लेते थे.


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पाठ 3: लिलाधर मंडलोई – तताँरा वामीरो कथा

तताँरा-वामीरो कथा प्रस्तुत पाठ भारत के एक छोटे से द्वीप पर केन्द्रित है. उक्त द्वीप में विद्वेष गहरी जेड जमा चूका था. उस विद्वेष को जड़ मूल से उखाड़ने के लिए एक प्रेमी युगल को आत्मबलिदान देना पड़ा था.


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पाठ 4: प्रहलाद अग्रवाल – तीसरी कसम के शिल्पकार शैलेन्द्र

तीसरी कसम के शिल्पकार शैलेंद्र. इस पाठ में तीसरी कसम नामक फिल्म के निर्माता कवि शेलेन्द्र के जीवन और उनके क्र्तत्व पर प्रकाश डाला गया है.


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पाठ 5: अंतोन चेखव – गिरगिट

गिरगिट कहानी अंतोन चेखव द्वारा लिखित एक श्रेष्ठ कहानी है . इस कहानी में रूस के महान लेखक ने एक ऐसे अवसर का वर्णन किया है जब जारशाही शासन चापलूसों, भाई-भतीजावाद के पोषक अधिकारीयों के भरोसे चल रहा था.


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पाठ 6: निदा फाजली – अब कहाँ दूसरों के दुःख से दुखी होने वाले

अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले. जब से दुनिया अस्तित्व में आई है इसमें प्रकृति के सभी जीवो की बराबर की हिस्सेदारी है, परन्तु मनुष्य ने अपनी बुद्धि से दीवारें कड़ी कर दी हैं.


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पाठ 7: रवींद्र केलेकर – पतझर की टूटी पत्तियां

पतझर की टूटी पत्तियाँ. प्रस्तुत पाठ में वर्णित प्रसंग पढ़नेवालों से थोडा कहा अधिक समझना की मांग करते हैं. ये प्रसंग महज पढने-गुनने हेतु नहीं है अपितु एक जागरूक और सक्रीय नागरिक बनने की प्रेरणा देते हैं.


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पाठ 8: हबीब तनवीर – कारतूस (एकांकी)

कारतूस पाठ में एक ऐसे जबाज के कारनामों का वर्णन है जिसका एकमात्र लक्ष्य था अंग्रेजों को इस देश से बाहर करना. कम्पनी को हुक्मरानों की नींद हराम कर देनेवाला यह दिलेर इतना निडर था की शेर की मांड में पहोंचकर उससे दो-दो हाथ करने से भी पीछे नहीं हटाता था.


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संचयन भाग २

पाठ 1: मिथीलेश्वर  – हरिहर काका

 हरिहर काका कहानी के कथाकार मिथिलेश्वर हैं. यह एक मर्मस्पर्शी कथा है. इस कहानी के माध्यम से कथाकार ने ग्रामीण पारिवारिक जीवन तथा हमारी आस्था के प्रतीक धर्मस्थल में अपने पों फैला रही स्वार्थ प्रवर्ती को उज्जागर किया है.


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पाठ 2: गुरदयाल सिंह  – सपनो के से दिन

सपनों के-से दिन यह पाठ पंजाबी लेखक गुरदयाल सिंह की आत्मकथा का एक अंश है. इसमें लेखक ने अपने बचपन के दिनों का वर्णन किया है. उस समय के खेल, चोट लगने तथा माँ-बाप लके व्यवहार का उन्होंने यथार्थ चित्रण किया है.


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पाठ 3: राही मासूम रजा  – टोपी शुक्ला

टोपी शुक्ला प्रसिद्ध कथाकार राही मासूम रजा द्वारा लिखित हैं. टोपी के पिता एक जाने-माने डॉक्टर है. उनका परिवार भरा-पूरा है. घर में किसी चीज का आभाव न था. बचपन में जब टोपी शुक्ला चौथे दर्जे की पढाई कर रहा था तो उसकी मुलाकात इफ्फन से हुई.


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क्षितीज - भाग २

पाठ 1: सुरदास - पद

सूरदास का जन्म सन् 1478 में माना जाता है. एक मान्यता के अनुसार उनका जन्म मथुरा के निकट रुनकता या रेणुका शेत्र में हुआ जबकि दूसरी मान्यता के अनुसार उनका जन्म-स्थान दिल्ली के पास सीही मन जाता है.


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पाठ 2: तुलसीदास - राम-लक्ष्मण-परशुराम- संवाद

तुलसीदास का जन्म उत्तर प्रदेश के बाँदा जिले के राजापुर गाँव में सन् १५३२ में हुआ था. कुछ विद्वान उनका जन्मस्थान सोरों (जिला एटा) भी मानते हैं. तुलसी का बचपन बहुत संघर्षपूर्ण था.


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पाठ 3: देव - सवैया

देव का जन्म इटावा में सन् 1673 में हुआ था. उनका पूरा नाम देवदत्त द्विवेदी था. देव के अनेक आश्रयदाताओं में औरंगजेब के पुत्र आजमशाह भी थे परन्तु देव को सबसे अधिक संतोष और सम्मान उनकी कविता के गुणग्राही आश्रयदाता भोगीलाल से प्राप्त हुआ.


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पाठ 4: जयशंकर प्रसाद - आत्मकथ्य

 जयशंकर प्रसाद का साहित्य जीवन की कोमलता, माधुर्य, शक्ति और ओजका साहित्य मन जाता है. छायावादी कविता की अतिशय काल्पनिकता, सौन्दर्य का सूक्ष्म चित्रण, प्रकृति प्रेम, देश-प्रेम और शैली की लाक्षनिकता उनकी कविता की प्रमुख विशेषताए हैं.


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पाठ 5: सूर्यकांत त्रिपाठी निराला -उत्साह

सूर्यकांत त्रिपाठी निराला का जन्म बंगाल के महिषादल में सन् 1899 में हुआ. वे मूलतः गढ़ाकोला, उत्तर प्रदेश के निवासी थे. निराला की ओपचारिक शिक्षा नौवी तक महिषादल में ही हुई.


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पाठ 6: नागार्जुन - यह दंतुरीत मुस्कान

नागार्जुन का जन्म बिहार के दरभंगा जिला के सतलखा गाँव में सन् 1911 में हुआ. उनका मूल नाम वैद्यनाथ मिश्र था. आरोंभिक शिक्षा संस्कृत पाठशाला में हुई, फिर अध्यन्न के लिए वे बनारस और कलकत्ता गए.


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पाठ 7: गिरिजाकुमार माथुर - छाया मत छुना

गिरिजाकुमार माथुर का जन्म सन् 1918 में गुना, मध्य प्रदेश में हुआ. प्रारंभिक शिक्षा झाँसी, उत्तर प्रदेश में ग्रहण करने के बाद उन्होंने एम.ए अंग्रेजी व एल.एल.बी की उपाधि लखनऊ से अर्जित की.


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पाठ 8: ऋतुराज - कन्यादान

ऋतुराज का जन्म सन् 1940 में भरतपुर में हुआ. राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर से उन्होंने अंग्रेजी में एम.ए, किया. चालीस वर्षों तक अंग्रेजी साहित्य के अध्यापन के बाद अब सेवानिवृति लेकर वे जयपुर में रहते हैं.


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पाठ 9: मंगलेश डबराल - संगतकार

मंगलेश डबराल का जन्म सन् 1948 में टेहरी गढ़वाल के काफलपानी गाँव में हुआ और शिक्षा-दीक्षा हुई देहरादून में. दिल्ली आकर हिंदी प्रतिपक्ष और आसपास में काम करने के बाद वे भोपाल में भारत भवन से प्रकाशित होने वाले पूर्वग्रह में सहायक संपादक हुए.


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पाठ 10: स्वयं प्रकाश - नेताजी का चश्मा

नेताजी का चश्मा स्वयं प्रकाश का जन्म सन् 1947 में इंदौर में हुआ. मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढाई करके एक औद्योगिक प्रतिष्ठान में नौकरी करने वाले स्वयं प्रकाश का बचपन और नौकरी का बड़ा हिस्सा राजस्थान में बीता.


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पाठ 11: रामवृक्ष बेनीपुरी - बालगोबिन भगत

 बालगोबिन भगत. रामवृक्ष बेनीपुरी का जन्म बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के बेनीपुर गाँव में सन् 1899 में हुआ. माता पिता का निधन बचपन में ही हो जाने के कारण जीवन के आरंभिक वर्ष अभावों-कठिनाइयों और संघर्ष में बीते.


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पाठ 12: यशपाल - लखनवी अंदाज़

लखनवी अंदाज़. यशपाल का जन्म सन् 1903 में पंजाब के फिरोजपुर छावनी में हुआ. प्रारंभिक शिक्षा कांगड़ा में ग्रहण करने के बाद लाहौर के नेशनल कॉलेज से उन्होंने बी.ए किया. वहाँ उनका परिचय भगत सिंह और सुखदेव से हुआ.


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पाठ 13: सर्वेश्वर दयाल सक्सेना - मानवीय करुणा की दिव्य चमक

मानवीय करुणा की दिव्य चमक. सर्वेश्वर दयाल सक्सेना का जन्म सन् 1927 में जिला बस्ती, उत्तर प्रदेश में हुआ. उनकी उच्च शिक्षा इलाहबाद विश्वविद्यालय से हुयी. वे अध्यापक, आकाशवाणी में सहायक प्रोडूसर,दिनमान में उपसंपादक और पराग के संपादक रहे.


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पाठ 14: मन्नू भंडारी - एक कहानी यह भी

एक कहानी यह भी. मन्नू भंडारी का जन्म सन् 1931 में गाँव भानपुरा, जिला मंदसौर में हुआ परन्तु उनकी इंटर तक की शिक्षा-दीक्षा हुई राजस्थान केअज्मेर शहर में. बाद में उन्होंने हिंदी में एम.ए. किया.


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पाठ 15: महावीरप्रसाद -  स्त्री-शिक्षा के विरोधी और कुतर्कों का खंडन

 स्त्री-शिक्षा के विरोधी और कुतर्कों का खंडन. महावीरप्रसाद का जन्म सन् 1864 में ग्राम दौलतपुर, जिला रायबरेली में हुआ. परिवार की आर्थिक स्थिति अची न होने के कारण स्कूली शिक्षा पूरी कर उन्होंने रेलवे में नौकरी कर ली.


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पाठ 16: यतीन्द्र मिश्र - नौबतखाने में इबादत

नौबतखाने में इबादत. यतीन्द्र मिश्र का जन्म सन् 1977 में अयोध्या में हुआ. उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ से हिंदी में एम.ए किया. वे आजकल स्वतंत्र लेखन के साथ अर्धवार्षिक सहित पत्रिका का संपादन कर रहे है.


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2- [video_lightbox_youtube video_id="tbyk7aVOJqM&rel=0" width="640" height="520" start="10" anchor="नौबतखाने में इबादत -2"] 

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पाठ 17: भतंद आनंद कौसल्यायन - संस्कृति

संस्कृति. भतंद आनंद कौसल्यायन का जन्म सन् 1905 में पंजाब के अंबाला जिले के सोहना गाँव में हुआ. उनके बचपन का नाम हरनाम दास था. उन्होंने लाहौर के नेशनल कॉलेज से बी.ए किया.


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कृतिका - भाग २

पाठ 1: माता का ऑचल - शिवपुजन सहाय

माता का ऑचल. जहाँ लड़कों का संग, तहाँ बजे मृदंग जहाँ बूढों का संग, तहाँ खरचे का तंग हमारे पिता तडके उठकर, निबट-नहाकर पूजा करने बैठ जाते थे. हम बचपन से ही उनके अंग लग गए थे. माता से केवल दूध पीने तक का नाता था.


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पाठ 2:  जॉर्ज पंचम के नाक - कमलेश्वर

 जॉर्ज पंचम के नाक. यह बात उस समय की है जब इंग्लैंड की रानी एलिज़ाबेथ द्वितीय मय अपने पति के हिन्दुस्तान पधारने वाली थी. अख़बारों में उनकी चर्चा हो रही थी.


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पाठ 3: साना-साना हाथ जोड़ी - मधु कांकरीया 

साना-साना हाथ जोड़ी. मैंने हैरान होकर देखा-आसमान जैसे उल्टा पड़ा था और सरे तारे बिखरकर नीचे टिमटिमा रहे थे. दूर ढलान लेती तराई पर सितारों के गुच्छे रोशनियों की एक झालर-सी बना रहे थे.


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पाठ 4: एही ठेयाँ झुलनी हेरानी हो रमा - शिवप्रसाद मिश्र -रुद्र

एही ठेयाँ झुलनी हेरानी हो रमा महाराष्ट्रीय महिलाओं की तरह धोती लपेट, कच्छ बांधे दुलारी दनादन दंड लगाती जा रही थी. उसके शरीर से टपक-टपककर गिरी बूंदों से भूमि पर पसीने का पुतला बन गया था.


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पाठ 5: मै क्यों लिखता हूँ? - अज्ञेय

मै क्यों लिखता हूँ? यह प्रश्न बड़ा सरल जान पड़ता है पर बड़ा कठिन भी है. क्योंकि इसका सच्चा उत्तर लेखक के आतंरिक जीवन के स्तरों से संबंध रखता है. उन सबको संक्षेप में कुछ वाक्यों में बाँध देना आसान यो नहीं ही है, न जाने सम्भव भी है या नहीं.


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1- [video_lightbox_youtube video_id="YZnnOXiRNjA&rel=0" width="640" height="520" start="10" anchor="मै क्यों लिखता हूँ?"] 

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प्रश्न पत्र 80 अंको का होगा जिसमे  15 अंक अपठित बोध  के होंगे, 15 अंक ब्यवहारिक ब्याकरण (difference between शब्द and पद – 2 अंक, रचना के आधार पर वाक्य रूपांतर – 3 अंक, समास – 4 अंक, अशुध्दि शोधन – 4 अंक, मुहावरे – 2अंक ) के होंगे, पाठ्य पुस्तक 25 अंको की होगी तथा रचनात्मक लेखन (लेखन कौशल ) 25 अंको की होगी।

Apart from this there will be internal assessment carrying 20 marks. In the internal assessment 3 tests will be done by the school and the two best result will be counted as internal assessment marks.